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पिता की हत्या में बेटे को सजा:कोर्ट ने बरी किया तो घरवालों ने कहा- नानाखेड़ा पुलिस ने 5 लाख रुपए मांगे थे
इंदौर रोड के मताना कांकड़ निवासी जितेंद्र परमार ने पिता विक्रम परमार की हत्या के आरोप में आठ महीने जेल काटी। परिजन शुरुआत से ही नानाखेड़ा पुलिस पर आरोप लगा रहे थे कि 5 लाख रुपए नहीं देने पर एक एसआई व अन्य पुलिसकर्मियों ने बेटे को हत्या के केस में फंसा दिया। इसकी शिकायत एसपी से लेकर मानव अधिकार आयोग तक को की थी। बीती 24 फरवरी को कोर्ट ने जितेंद्र को बरी कर दिया।
कोर्ट ने इस तर्क पर जितेंद्र को बरी किया कि विवेचना व विश्लेषण के आधार पर अभियोजन अपना प्रकरण युक्तियुक्त संदेह से परे प्रमाणित करने में असफल रहा। अत: जितेंद्र को बरी किया जाता है। कोर्ट के इस फैसले के बाद जितेंद्र की पत्नी काजल परमार व परिजन ने आरोप लगाया कि नानाखेड़ा थाने के सब इंस्पेक्टर संतोष पाठक, हेड कांस्टेबल स्वतंत्रसिंह समेत अन्य पुलिसकर्मियों ने 5 लाख रुपए की मांग की थी।
कुछ रुपए पाठक ने कार में बैठकर लिए थे। इसके बाद पुलिसकर्मियों को यह पता चला कि उनका वीडियो बन गया है तो जितेंद्र को हत्या के केस में फंसाकर आरोपी बना दिया। आयोग को शिकायत करने के बाद एसपी समेत अन्य अधिकारियों ने इसमें जांच कराई।
इस संबंध में डीएसपी सुरेंद्रपाल सिंह राठौर ने इतना ही कहा कि पुराना मामला है, जिसमें प्रारंभिक जांच जरूर मैंने की थी लेकिन इसके आगे वरिष्ठ अधिकारी ही बता पाएंगे। वहीं सीएसपी वंदना चौहान ने इस तरह की जांच के संबंध में पूछने पर अनभिज्ञता जताई। एएसपी अमरेंद्रसिंह ने कहा कि मैं पता करूंगा।
यह था मामला : मताना कांकड़ निवासी विक्रम परमार की 8 जून 2020 की सुबह अंतिम संस्कार की तैयारी कर रहे थे। इस बीच किसी ने खुद को अंगूरी बाई बताकर पुलिस को सूचना दी थी कि घरवालों ने विक्रम की हत्या कर दी है।
परिजन बोले– पुलिस ने झूठा कलंक लगाया पर सच्चाई जीती
जितेंद्र की पत्नी व परिजनों ने कहा कि रुपए के लिए नानाखेड़ा पुलिस ने बेटे पर पिता की हत्या का झूठा कलंक लगा दिया। उसे फंसाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी लेकिन न्यायालय में सच्चाई की जीत हुई। हमारे पास रुपए मांगने सभी रिकार्डिंग से लेकर वीडियो तक है। अब हम कोर्ट जाएंगे ताकि इस तरह का कृत्य करने वाले पुलिसकर्मियों को सजा मिले और अन्य किसी निर्दोष को वे झूठा फंसा नहीं सके।